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Khutba Hajjatul Wida Hindi Akhri Haj खुत्बा-ए-हज्जतुल वदा

(खुत्बा-ए-हज्जतुल वदा)

 क्या आप जानते हैं कि अपने आखरी हज के समय अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने जो आखरी भाषण (खुतबा) दिया जो अपने
आप में एक ऐसी मिसाल है|

मेरा सभी मुस्लिम और गैर-मुस्लिम भाइयों से निवेदन है कि इसे ज़रूर पढ़ें:
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👉 हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया:
प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो।

👉  ऐ इंसानो!
👉 तुम्हारा रब एक है।
👉 अल्लाह की किताब और उसके रसूल स. की सुन्नत को मज़बूती से पकड़े रहना।

👉 लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना,
👉  ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा.

👉 कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना।
👉 ब्याज के क़रीब भी न फटकना।

👉 किसी अरबी  किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर,
👉 न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर,
👉 प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है
👉 अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है।
👉 बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।

👉 तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।

👉 अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
👉 इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए।
(अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने
ख़ानदान का ख़ून–रबीआ इब्न हारिस का ख़ून– ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|


👉 अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।

👉 औरतों के मामले में अल्लाह से डरो।
👉 तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
👉 औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।

ऐ लोगों
👉 याद रखो, मेरे बाद कोई
नबी (ईश्वर का सन्देश वाहक)नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।


अत: अपने रब की इबादत करना,
👉 प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना।
👉 रमज़ान के रोज़े रखना,
👉 खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात (2.5% of your accumulated wealth) देना,
👉 अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना।
👉 ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! 
👉
क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया!

लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी :–
हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल!
(तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा)
ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत
(कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3

Reference:- 
Sahee Al-Bukhari, 
Hadith 1623, 1626, 6361

चाहे वो इज्जत, सन्मान हो, या फिर धोखा

जो हम दूसरो को देंगे, 
             वहीं लौट कर आयेगा...
      चाहे वो इज्जत, सन्मान हो, 
                       या फिर धोखा...!!

गाँव में एक किसान रहता था जो दूध से दही और मक्खन बनाकर बेचने का काम करता था..
एक दिन बीवी ने उसे मक्खन तैयार करके दिया वो उसे बेचने के लिए अपने गाँव से शहर की तरफ रवाना हुवा..
वो मक्खन गोल पेढ़ो की शकल मे बना हुवा था और हर पेढ़े का वज़न एक kg था..
शहर मे किसान ने उस मक्खन को हमेशा की तरह एक दुकानदार को बेच दिया,और दुकानदार से चायपत्ती,चीनी,तेल और साबुन व गैरह खरीदकर वापस अपने गाँव को रवाना हो गया..
किसान के जाने के बाद -
.. .दुकानदार ने मक्खन को फ्रिज़र मे रखना शुरू किया.....उसे खयाल आया के क्यूँ ना एक पेढ़े का वज़न किया जाए, वज़न करने पर पेढ़ा सिर्फ 900 gm. का निकला, हैरत और निराशा से उसने सारे पेढ़े तोल डाले मगर किसान के लाए हुए सभी पेढ़े 900-900 gm.के ही निकले।
अगले हफ्ते फिर किसान हमेशा की तरह मक्खन लेकर जैसे ही दुकानदार की दहलीज़ पर चढ़ा..
दुकानदार ने किसान से चिल्लाते हुए कहा: दफा हो जा, किसी बे-ईमान और धोखेबाज़ शखस से कारोबार करना.. पर मुझसे नही।
900 gm.मक्खन को पूरा एक kg.कहकर बेचने वाले शख्स की वो शक्ल भी देखना गवारा नही करता..
किसान ने बड़ी ही आजिज़ी (विनम्रता) से दुकानदार से कहा "मेरे भाई मुझसे बद-ज़न ना हो हम तो गरीब और बेचारे लोग है,
हमारी माल तोलने के लिए बाट (वज़न) खरीदने की हैसियत कहाँ" आपसे जो एक किलो चीनी लेकर जाता हूँ उसी को तराज़ू के एक पलड़े मे रखकर दूसरे पलड़े मे उतने ही वज़न का मक्खन तोलकर ले आता हूँ।
👍👍👍👍👍👍👍👍👍
जो हम दूसरो को देंगे, 
             वहीं लौट कर आयेगा...
      चाहे वो इज्जत, सन्मान हो, 
                       या फिर धोखा...!!

फिरको में और मसलको के बटेएक उम्मत मुसलमान फ़िरक़ापरस्ती


फिरको में और मसलको के बटे मुसलमान ज़रूर पढ़े और सोचे
पढ़िए अल्लाह और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमसे आपस में  किस तरह से रहने को कहा है
"सब मिल कर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से थाम लो और फिर्क़ों में मत बटो"|
(सुर: आले इमरान-103)
"तुम उन लोगो की तरह न हो जाना जो फिरकों में बंट गए और खुली -खुली  वाज़ेह हिदायात पाने के बाद इख़्तेलाफ में पड़ गए, इन्ही लोगों के लिए बड़ा अज़ाब हे"।
(सुर:आले इमरान -105)
"जिन लोगो ने अपने दीन को टुकड़े टुकड़े कर लिया और गिरोह-गिरोह बन गए,
आपका(यानि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का)
इनसे कोई ताल्लुक नहीं। इनका मामला अल्लाह के हवाले हे, वही इन्हें बताएगा की इन्होंने क्या कुछ किया हे"।
(सुर: अनआम-159)
"फिर इन्होंने खुद ही अपने दीन के टुकड़े-टुकड़े कर लिए, हर गिरोह जो कुछ इसके पास हे इसी में मगन हे"।
(सुर: मोमिनून -53)
""तुम्हारे दरमियान जिस मामले में भी इख़्तेलाफ हो उसका फैसला करना अल्लाह का काम हे"।
(सुर: शूरा -10)
"और जब कोई एहतराम के साथ तुम्हे सलाम करे तो उसे बेहतर तरीके के साथ जवाब दो
या कम अज़ कम उसी तरह (जितना उसने तुम्हे सलाम किया) अल्लाह हर चीज़ का हिसाब लेने वाला हे।
(सुर: निसा -86)
"अल्लाह ने पहले भी तुम्हारा नाम मुस्लिम रखा था और इस (क़ुरआन) में भी (तुम्हारा यही नाम हे ) ताकि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) तुम पर गवाह हो"।
(सुर: हज -78)
"बेशक सारे मुसलमान भाई भाई हैं, अपने भाइयो में सुलह व मिलाप करा दिया करो और अल्लाह से डरते रहो ताकि तुम पर रहेम किया जाये"।
(सुर: हुजरात -10)

सहीह अहादीस में आया है
हज़रत अबू हुरैरह (रज़ि) से रिवायत हे की रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया- "क़सम हे उस ज़ात की जिसके क़ब्ज़े में मेरी जान हे
तुम जन्नत में तब तक दाखिल नहीं हो सकते जब तक की ईमान वाले न हो जाओ और
"तुम तब तक ईमान वाले नहीं हो सकते जब तक की"
"आपस में मुहब्बत न करने लग जाओ"
तो क्या में तुम्हे ऐसी चीज़ न बता दू की जब तुम इसको करोगे तो आपस में मेहबूब हो जाओगे??
फ़रमाया-अपने दरमियान सलाम को फैलाओ"।(यानी खूब सलाम किया करो)
(सहीह इब्ने माजा)
"अबू मूसा (रज़ि) से रिवायत हे की नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया-"एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान से ताल्लुक़ एक इमारत की तरह हे,
जिसका एक हिस्सा दूसरे हिस्से को मज़बूत करता हे फिर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक हाथ की उंगलियां दूसरे हाथ की उंगलियो में डाली (और इस अमल से यह समझाया की मुसलमानो को आपस में इस तरह जुड़े रहना चाहिए और एक दूसरे की ताक़त का ज़करिया होना चाहिए)
( सहीह बुखारी)
नौमान बिन बशीर (रज़ि) से रिवायत हे की नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया -"तुम मोमिनो को देखोगे की वह एक दूसरे पर रहम करने में और एक दूसरे का साथ निभाने में और शफ़क़त करने में
"एक जिस्म की तरह हें"
जब जिस्म के एक हिस्से में तक़लीफ़ हो तो सारा जिस्म दर्द और बुखार से कराहता हे"।
(सहीह मुस्लिम)
नौमान (रज़ि) बयान करते हे की नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया-
"तमाम मोमिनीन एक जिस्म की तरह हे"
जब इसकी आँख में तकलीफ होगी तो सारे जिस्म में तक़लीफ़ होगी और अगर इसके सर में दर्द होगा तो सारे जिस्म में दर्द होगा (इससे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने समझाया  की जिस तरह से जिस्म में कही भी तक़लीफ़ हो तो सारा जिस्म उसे महसूस करता हे इसी तरह अगर मुसलमानो पर कही भी कोई तक़लीफ़ पहुच रही हो तो हमे भी उसे महसूस करना चाहिए और उसके खिलाफ कहना चाहिए)
(सहीह मुस्लिम )
क्या आज हम उम्मत के हर फर्द को अपने जिस्म का हिस्सा समझते हें❓❓
क्या उम्मत की हर तकलीफ पर हम भी तकलीफ महसूस करते हैं❓❓
क्या काफिरो की चालो से हम भी मुतास्सिर हो गए और एक दूसरे क सलाम का जवाब देना भी गवारा नहीं करते❓❓
क्या अल्लाह और उसके रसूल से बढ़ कर हमारी बात हो गई के हम हमारे भाइयो से ही नफरत करने लगे❓❓
क्या आज हम उम्मत के हर फर्द से वही उल्फत मुहब्बत और भाईचारगी का रवैय्या रखते हैं जो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमे सिखलाया ❓❓
या हम भी उन्ही फिरकापरस्त तागूती ताक़तों का शिकार हे जो उम्मत को सिर्फ तोडना चाहती हे।
जुड़ कर रहिये एक ताक़त बनिए
अल्लाह हमे हर फ़िरक़ापरस्ती से हिफाज़त फरमाये और हमारे दिलों में मुहब्बत उल्फत नरमी और भाईचारगी पैदा फरमाये.....
आमीन..
किसी की चालो काj शिकार मत बनिए बस एक उम्मत बनिए
अल्लाह आपको अजरे अज़ीम अता फरमाये...
आमीन

आभासी दुनिया की हकीकत मृत्यु के बाद जीवन है

मरने से पहले मौत के बाद जीवन के लिए
तैयार रहो
प्रत्येक लाइन गहराई से पढ़े-
✅ गरीब दूर तक चलता है..... खाना खाने के लिए......।
✅ अमीर मीलों चलता है..... खाना पचाने के लिए......।
✅ किसी के पास खाने के लिए..... एक वक्त की रोटी नहीं है.....
✅ किसी के पास खाने के लिए..... वक्त नहीं है.....।
✅ कोई लाचार है.... इसलिए बीमार है....।
✅ कोई बीमार है.... इसलिए लाचार है....।
✅ कोई अपनों के लिए.... रोटी छोड़ देता है...।
✅ कोई रोटी के लिए..... अपनों को छोड़ देते है....।
✅ ये दुनिया भी कितनी निराळी है। कभी वक्त मिले तो सोचना....
✅ कभी छोटी सी चोट लगने पर रोते थे.... आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते है।
✅ पहले हम दोस्तों के साथ रहते थे... आज दोस्तों की यादों में रहते है...।
✅ पहले लड़ना मनाना रोज का काम था.... आज एक बार लड़ते है, तो रिश्ते खो जाते है।

मरने से पहले मौत के बाद जीवन के लिए
तैयार रहो

इस्लामी तर्बियत नाफरमान औलाद मां बाप जिम्मेदारी खानदान मुल्क दीन का नुक्सान

अक्सर माँ-बाप कहते है हमारी औलाद नाफरमान है,

 हमारा ख्याल नहीं करती, हमारा अदब नहीं करती, हमारा हक नहीं देती, हमारे मुकाबले में बीवी की बात सुनती, हम को डराती-धमकाती और हमारे साथ बेइज्जती का सुलूक करती है वगैरह।

 हालांकि उनकी औलाद में यह तमाम नाफरमानियां खुद उन ही की हक तलफी का नतीजा है। 

अगर उन्होंने अपना हक अदा किया होता, बचपन से ही अपनी औलाद की तर्बियत इस्लामी अंदाज पर की होती तो आज उनकी औलाद उनका मकाम पहचानती, उनका अदब व एहतराम करती और उनका हक अदा करती और उनकी खिदमत करने को इबादत समझती। अक्सर मां-बाप को सिर्फ औलाद से हुकूक लेने की ही बड़ी फिक्र रहती है मगर वह औलाद के हुकूक अदा करने की बिल्कुल फिक्र ही नहीं करते और न उनको इस बात का एहसास ही होता है कि उन्होंने अपनी औलाद के हुकूक को अदा न करके औलाद का, खानदान का, माहौल और समाज का, मुल्क का और दीन का कितना बड़ा नुक्सान किया है।

बच्चों की तालीम व तर्बियत मां और बाप दोनों की जिम्मेदारी है
। तर्बियत का तमामतर बोझ मां पर डाल देना एक नामुनासिब और गैरमाकूल तरीका है।


 बच्चों के दोस्तों पर गहरी नजर रखना वाल्दैन की लाजिमी जिम्मेदारी है। वाल्दैन बच्चों के साथ रोजाना कुछ न कुछ वक्त गुजारें।

 बच्चों को इब्तिदाई उम्र से ही सच्चाई, अमानतदारी, बुजुर्गों की इज्जत, पड़ोसियों से बेहतर सुलूक सिखाया जाए। फिर उन्हें बुरे अखलाक मसलन झूट, चोरी, गाली गलौच से सख्ती के साथ बचाया जाए।

इस्लाम: स्म्पूर्ण संसार के लिए एक प्रकाशस्तंभ पैग़म्बर व्यक्तित्व

इस्लाम: स्म्पूर्ण संसार के लिए एक प्रकाशस्तंभ
इस्लाम के पैग़म्बर ने लाकतान्त्रिक शासन-प्रणाली को उसके उत्कृष्टतम रूप में स्थापित किया। ख़लीफ़ा उमर और ख़लीफ़ा अली (पैग़मम्बर इस्लाम के दामाद), ख़लीफ़ा मन्सूर, अब्बास (ख़लीफ़ा मामून के बेटे) और कई दूसरे ख़लीफ़ा और मुस्लिम सुल्तानों को एक साधारण व्यक्ति की तरह इस्लामी अदालतों में जज के सामने पेश होना पड़ा। हम सब जानते हैं कि काले नीग्रो लोगों के साथ आज भी ‘सभ्य!’ सफे़द रंगवाले कैसा व्यवहार करते है? फिर आप आज से चैदह शताब्दी पूर्व इस्लाम के पैग़म्बर के समय के काले नीग्रो बिलाल के बारे में अन्दाज़ा कीजिए। इस्लाम के आरम्भिक काल में नमाज़ के लिए अज़ान देने की सेवा को अत्यन्त आदरणीय व सम्मानजनक पद समझा जाता था और यह आदर इस ग़ुलाम नीग्रो को प्रदान किया गया था। मक्का पर विजय के बाद उनको हुक्म दिया गया कि नमाज़ के लिए अज़ान दें और यह काले रंग और मोटे होंठोंवाला नीग्रो गुलाम इस्लामी जगत् के सब से पवित्र और ऐतिहासिक भवन, पवित्र काबा की छत पर अज़ान देने के लिए चढ़ गया। उस समय कुछ अभिमानी अरब चिल्‍ला उठे, ‘‘आह, बुरा हो इसका, यह काला हब्शी अज़ान के लिए पवित्र काबा की छत पर चढ़ गया है।’’शायद यही नस्ली गर्व और पूर्वाग्रह था जिसके जवाब में आप(सल्ल.) ने एक भाषण (ख़ुत्बा) दिया। वास्तव में इन दोनों चीज़ों को जड़-बुनियाद से ख़त्म करना आपके लक्ष्य में से था। 
अपने भाषण में आपने फ़रमाया-‘‘सारी प्रशंसा और शुक्र अल्लाह के लिए है, जिसने हमें अज्ञानकाल के अभिमान और अन्य बुराइयों से छुटकारा दिया। ऐ लोगो, याद रखो कि सारी मानव-जाति केवल दो श्रेणियों में बँटी हैः एक धर्मनिष्ठ अल्लाह से डरने वाले लोग जो कि अल्लाह की दृष्टि में सम्मानित हैं। दूसरे उल्लंघनकारी, अत्याचारी, अपराधी और कठोर हृदय लोग हैं जो ख़ुदा की निगाह में गिरे हुए और तिरस्कृत हैं। अन्यथा सभी लोग एक आदम की औलाद हैं और अल्लाह ने आदम को मिट्टी से पैदा किया था।’’इसी की पुष्टि क़ुरआन में इन शब्दों में की गई है-‘‘ऐ लोगो ! हमने तमको एक मर्द और एक औरत से पैदा किया और तुम्हारी विभिन्न जातियाँ और वंश बनाए ताकि तुम एक-दूसरे को पहचानो, निस्सन्देह अल्लाह की दृष्टि में तुममें सबसे अधिक सम्मानित वह है जो (अल्लाह से) सबसे ज़्यादा डरनेवाला है। निस्सन्देह अल्लाह ख़ूब जाननेवाला और पूरी तरह ख़बर रख़नेवाला है।’’ (क़ुरआन,49:13)
पुस्‍तक- इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ( सल्‍ल. )
लेखक: प्रोफ़ेसर के. एस. रामा कृष्णा रावभूतपूर्व अध्यक्ष, दर्श ण-शास्त्र विभाग
For download full book click  http://islamhindimen.wordpress.com/2010/04/07/%E0%A4%87%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%88%E0%A4%97%E0%A4%BC%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%B0-%E0%A4%B9%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A4%B0%E0%A4%A4/

इंसानी भाईचारा और इस्लाम हज: मानव-समानता का एक जीवन्त प्रमाण

इंसानी भाईचारा और इस्लाम
महात्मा गाँधी अपनी अद्भूत शैली में कहते हैं- ‘‘ कहा जाता है कि यूरोप वाले दक्षिणी अफ्ऱीक़ा में इस्लाम के प्रासार से भयभीत हैं, उस इस्लाम से जिसने स्पेन को सभ्य बनाया, उस इस्लाम से जिसने मराकश तक रोशनी पहुँचाई और संसार को भईचारे की इंजील पढ़ाई। दक्षिणी अफ्ऱीक़ा के यूरोपियन इस्लाम के फैलाव से बस इसलिए भयभीत हैं कि उनके अनुयायी गोरों के साथ कहीं समानता की माँग न कर बैठें। अगर ऐसा है तो उनका डरना ठीक ही है। यदि भाईचारा एक पाप है, यदि काली नस्लों की गोरों से बराबरी ही वह चीज़ है, जिससे वे डर रहे हैं, तो फिर (इस्लाम के प्रसार से) उनके डरने का कारण भी समझ में आ जाता है।’’
हज: मानव-समानता का एक जीवन्त प्रमाण
दुनिया हर साल हज के मौक़े पर रंग, नस्ल और जाति आदि के भेदभाव से मुक्त इस्लाम के चमत्कारपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय भव्य प्रदर्शन को देखती है। यूरोपवासी ही नहीं, बल्कि अफ्ऱीक़ी, फ़ारसी, भारतीय, चीनी आदि सभी मक्का में एक ही दिव्य परिवार के सदस्यों के रूप में एकत्र होते हैं, सभी का लिबास एक जैसा होता है। हर आदमी बिना सिली दो सफ़ेद चादरों में होता है, एक कमर पर बंधी होती है तथा दूसरी कंधों पर पड़ी हुई। सब के सिर खुले हुए होते हैं। किसी दिखावे या बनावट का प्रदर्शन नहीं होता। लोगों की ज़ुबान पर ये शब्द होते हैं-‘‘मैं हाज़िर हूँ, ऐ ख़ुदा मैं तेरी आज्ञा के पालन के लिए हाज़िर हूँ, तू एक है और तेरा कोई शरीक नहीं।’’इस प्रकार कोई ऐसी चीज़ बाक़ी नहीं रहती, जिसके कारण किसी को बड़ा कहा जाए, किसी को छोटा। और हर हाजी इस्लाम के अन्तर्राष्ट्रीय महत्व का प्रभाव लिए घर वापस लौटता है। प्रोफ़सर हर्गरोन्ज (Hurgronje) के शब्दों में- ‘‘पैग़म्बरे-इस्लाम द्वारा स्थापित राष्ट्रसंघ ने अन्तर्राष्ट्रीय एकता और मानव भ्रातृत्व के नियमों को ऐसे सार्वभौमिक आधारों पर स्थापित किया है जो अन्य राष्ट्रों को मार्ग दिखाते रहेंगे।’’वह आगे लिखता है-‘‘वास्तविकता यह है कि राष्ट्रसंघ की धारणा को वास्तविक रूप देने के लिए इस्लाम का जो कारनामा है, कोई भी अन्य राष्ट्र उसकी मिसाल पेश नहीं कर सकता।’’

पुस्‍तक- इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ( सल्‍ल. )
लेखक: प्रोफ़ेसर के. एस. रामा कृष्णा रावभूतपूर्व अध्यक्ष, दर्श ण-शास्त्र विभाग

FAZAIL E Amaal in Hindi Translation Book PDF Download link


Tamam Musalmanon se Dardmandana Appeal

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⭕Ijtamaiat mein Khair, Allah ki Madad ka Wada aur Fitnon se Hifazat hai.

⭕Markaz Nizamuddin ki Ijtamaee Shura 16 Nov 2015 ko 5(Panch) akabir ki bani hai.
1.Maulana Saad Sb.
2.Maulana Ibrahim Sb.
3.Maulana Ahmad Laat Sb
4.Maulana Yaqoob Sb
5.Maulan Zaheerul Hasan Sb.

Tamam Musalman Shura ko Taawwun dain Yani Infaradi Rae se bachte hue Shura ke Ijtamaee Mashwara se Yaksu hokar Allah ke liye Jaan Maal Waqt ki Qurbani ke saath Deen ki Mehnat Karein.
Aur Apni Hidayat aur Sare Insaniat ki Hidayat ki fikr karein.

JAZAKALLAH O KHAIR

Quran Text File in Hindi

1. Download Complete Quran Translation - Simple Hindi (pdf 2.06 MB)

2. Read Online: Quran (Arabic), and its Hindi translation

3. Dictionary of Quran (Hindi), by Abdul Kareem Parikh, pdf file (2.4 MB)

4. Understand (Learn from original) Quran, by Abdul Aziz Abdul Raheem (short course), download pdf 1.71 MB

5. Basic Quran Course in Hindi, which makes learning Quran extremely easy

https://ia700605.us.archive.org/19/items/QuranHindi.pdf/QuranHindi.pdf



Hindi Fazail e Amaal Part 1
Jis bhai ne upload kiya hai hai usko jazakallah o khair.
https://ia601407.us.archive.org/34/items/FazailEAmaalInHindiVolume1/Fazail%20e%20Amaal%20in%20Hindi%20%28Complete-Volume%201%29.pdf



https://ia802709.us.archive.org/3/items/FazailESadaqatHindi/fazail%20e%20sadaqat%20h_text.pdf

muntakhab ahdith Hindi pdf mein download link
मुन्तख़ब अहादीस हिंदी में डाउनलोड लिंक 
https://ia801507.us.archive.org/5/items/MuntakhabAhadithInHindiByMaulanaMuhammadYusufKandhelviR.A/Muntakhab%20Ahadith%20in%20Hindi%20by%20Maulana%20Muhammad%20Yusuf%20Kandhelvi%20%28R.A%29.pdf



Fadhail e Aamal Arabic Translation  has been done by scholars under supervision of Maulana Talha Kandhalvi Damat Barkatuhum. 
The research work in ahadith has been done byHazrat Maulana Abdur Rasheed Nadwi sahab. db.

and the foreword by 

Hazrat Maulana Muhammed Rabe Hasani sahab Nadwi damathu barakatuhum Vice Chancellor of Darul Uloom Nadvatul Ulema and President All India Muslim Personal Law Board.

 Maulana has done a good work in collecting and mentioning dalael with sharah of hadees. 



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Islamic Books Collection [Hindi]

A. Islamic Books [Text Files in Hindi]

1. Islam Keya Hai? (What is Islam?)          Download Hindi Fonts

2. Aakhiri Paighambar 

(The Last Messenger) (pdf)

3. Islam Yah hai

 (This is Islam: a brief intro of Islam)

4. Islam Kripa aur Daya ka Dharm hai 

(Islam is a religion of mercy)

5. Islam aur maanav samaaj 

(Islam and Society) (pdf)

6. Samaaj Sewa aur Islam Dharm 

(Social Service in Islam)

7. Islam dharma kee Mahaanta 

(Greatness of Islam, as a religion)

8. Islam dharma kee Visheshtaa

 (Virtues of Islam)

9. Vishwa Samaaj 

(Universal appeal of Islam)

10. Islam Ek Adhyyan 

(Understanding Islam) (pdf)

11. Islam: Manavta-purn Aishwarya Dharma 

(Islam: a Humanitarian Divine Religion)

12. Islam: Ek Swayam-sidh Jeevan Vyewastha 

(Islam: A proven Way of Life)

13. Islam Keya Hai

 (Islam, an introduction),

15. Madhur Sandesh

 (Beautiful Message of Islam)

16. Mera Jeevan aur Quran

 (My life and Quran)

17. Parlok aur us ke Praman 

(The After-life and its proofs)

18. Quran Majeed: Antim Eish Granth

 (Quran: Final Message of God)

B. Quran Text File in Hindi

1. Download Complete Quran Translation - Simple Hindi (pdf 2.06 MB)

2. Read Online: Quran (Arabic), and its Hindi translation

3. Dictionary of Quran (Hindi), by Abdul Kareem Parikh, pdf file (2.4 MB)

4. Understand (Learn from original) Quran, by Abdul Aziz Abdul Raheem (short course), download pdf 1.71 MB

5. Basic Quran Course in Hindi, which makes learning Quran extremely easy

C. Islamic Audio Files [Hindi download]

1. Hindi translation with Quran recitation by Sudais: Download audio (mp3) files

2. Islam ke siddhant (Principles of Islam)

D. Hadeeth (Prophet's sayings) and Seerah (Prophet's biography) Files

1. Paighambar Mohammad, Rasulullah Sallalho-Alaihe-Wasallam

 (Know the prophet)

2. Paighambar, Muhammad, Rasulullah Sallalho-Alaihe-Wasallam aur Mahilaa kaa Sammaan

 (Prophet Muhammad PBUH and Women)

3. Rasulullah Sallalho-Alaihe-Wasallam Ke Sadwewahar

 (Mannerrs of Messenger PBUH)

6. Quran aur Paighambar 

(quran and prophet)

7. Hindu Dharmik Granthon men Paighambar Muhammad 

(Muhammad in the hindu book)

jazakallah 

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