Pages

Social life islam Prophet Example in Hindi bbok for children servant Prents


मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-की कुछ शिक्षाएं mohammad

पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-केविचारों, निर्देश, शिक्षा, सुझावों ,नैतिकता, आचरण और सिद्धांतों का एक  बहुत बड़ा संग्रह है.इस्लाम की महिमा और उसकी महानता इनहीं  आदर्शों पर टिकी हुई है.केवल उन में से एक हिस्से को यहाँदर्ज किया गया  हैं.

आत्माकी पवित्रता:
१.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है:
"बुद्धिमान वह है जो अपने आपके साथ अच्छे और बुरे का हिसाब किताब करे, और मौत के बाद काम आने वाला कार्यकरे, मूर्ख वह है जो अपनी इच्छाओंमेंडूबा रहे और अल्लाह का कृपा और दया का आशांवित रहे.

२.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने पूछा:  "आप लोग किस बात को बहादुरी समझते हो? लोगों ने कहा वह आदमी जिस को कोई मर्द न पछाङ सके, तो उन्होंने कहा नहीं ऐसा नहीं है , बल्किमजबूत आदमी वह है जो गुस्सा के समय खुद को क़ाबू में रखता है."(मुस्लिम ने इस को दर्ज किया है )
 

३. पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है:  "संतुष्टता एक ऐसा खजाना है जो कभी खत्म नहीं होता है"
४. पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है:"एक अच्छा मुसलमान होने का मतलब यह है कि बेकार (फुजुल) बात को छोड़ दे"


५.धर्म नाम है भला सोंचने का अल्लाह के लिये और उसकेपैगंबर के लिये और उसकी पवित्र पुस्तक (कुरान) के लिये और मुसलमानों के खास और आम लोगों के लिये.
६.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-एक बैठक में कुछ बैठे हुवे लोगों के पास रुके और कहा किया मैं आप लोगों को न बताऊँ कि आप लोगों में कोन अच्छे हैं और कोन बुरे हैं? सब के सब चुप रहे, उन्होंने यह सवाल तिन बार दुहराया तो एक आदमी ने कहा जी हाँ आप ज़रूर हमें बताएं कि  हमारे बीच कोन अच्छे हैं और कोन बुरे हैं? तो उन्हों ने कहा:"आप लोगों के बीच वह सब से अच्छा है जिन से भलाई की उम्मीद लगाई जाए और उनकी ओर से किसी प्रकार की तकलीफ से बेफिकरी हो और आप के बीच सब से बुरा वह है जिस से किसी भलाई की आशा न रखी जाए और उनकी ओर से तकलीफ पहुँचने का डर लगा रहे"
७. शर्म ईमान की एक शाखा है.

८:  पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है:"दो वरदान ऐसे हैं जिन में अधिक लोग नुकसान में रहते हैं: स्वास्थ्य और समय"
 ९. पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है: कि "अपनी जिंदगी के गुज़ारे में कम खर्च करना आदमी की बुद्धि का एक हिस्सा है.
१०.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है: कि:"धीरे धीरे समझ बूझकर चलना और फैसला  अल्लाह के आदेशा के अनुसार है और जल्दीबाजी शैतान की ओर से है"
११.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है: कि:"पाखंडी की तिन पहचानें हैं:जब बात करता है तो झूट बोलता है और जब वचन देता है तो मुकर जाता है और सुरक्षा के लिए जब कोई चीज़ उसके पास रखी जाए तो वह उस में आगे पीछे करदेता है.


१२.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है: कि:"ज्ञान मोमिन की खो होई चीज़ है जहाँ कहीं भी वह उसके हाथ लगे तो वही उसका हकदार है"
१३. पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है: कि:"आप लोग जहन्नम की आग से बचो यदि खजूर के एक टुकड़े को दान करके हो सके तो भी करो यदि किसी को यह भी न मिल सके तो एक अच्छे शब्द से भी हो तो करो..

 
१४.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है:"किया मैं आप सब को दुन्या और अखिरत के सब से अच्छे शिष्टाचार के बारे में न बता दूँ? तुम पर जो ज़ुल्म करे उसको भी क्षमाकरदो,  और उस से भी रिश्ता जोड़ें रखो जो आप से रिश्ता तोड़ ले, और उसको भी दें जो आप से हाथ रोके.
१५. पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है: कि:"पाखंडी की तिन पहचानें हैं:जब बात करता है तो झूट बोलता है और जब वचन देता है तो मुकर जाता है और सुरक्षा के लिए जब कोई चीज़ उसके पास रखी जाए तो वह उस में हेरा फेरी कर देता है.
१६.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है: कि:"आप लोगों में से मेरा सब से अधिकप्यारा क़यामत के दिन मुझ से सब से अधिक नजदीक बैठने वाला वह हैं जिनके शिष्टाचार अच्छे हों.
१७.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है: कि:"जो अल्लाह को खुश करने के लिये अपने आप को  झुका कर रखता है (घमंडी नहीं करता है) तो अल्लाह उसे ऊंचाई देता है. ْ
 

१८.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है: कि:"तिन लोगों के बारे में मैं क़सम खाता हूँ और इस बारे में एक बात बयान करता हूँ तो आप लोग उसे याद रख लीजिए: दान देने से किसी भी भक्तके धन में कमी नहीं होती है और यदि किसी ने किसी पर ज़ुल्म  किया और वह उसे पि गया तो अल्लाह उसेइज़्ज़तदेता है और जो आदमी भिक मांगने का दरवाजा खोलता है तो अल्लाह उस पर गरीबी का दरवाजा खोल देता है. पैगंबर -उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने और यह भी कहा: कि:"यह दुनिया या तो चार प्रकार के लोगों के लिये है: एक तो वह आदमी जिसे अल्लाह ने  धन और ज्ञान दिया है तो वह उसके बारे में अल्ल्लाह से डरता है और उसे दान करता है और अपने रिश्तेदारों पर खर्च करता है और उस में उनके लिए अल्लाह का हक़ मानता है तो यह सब दर्जों से बड़ा दर्जा है और एक आदमी को अल्लाह ने ज्ञान दिया लेकिन उसे धन नहीं दिया पर उसकी निययत शुद्ध है और वह यह कहता है कि यदि मेरे पास धन होता तो मैं फुलान की तरह काम करता यह उसका इरादा है तो दोनों का बदला बराबर है और एक आदमी को अल्लाह ने धन दिया पर उसे ज्ञान नहीं दिया तो वह अपने धन में अंधाधुंध चलता है अपने मालिक से नहीं डरता है और अपने रिश्तदारों पर भी खर्च नहीं करता है और उस में अपने मालिक का भी कोई हक़ नहीं मानता है तो यह सब से घटया दर्जा है और एक आदमी को अल्लाह ने न धन दिया और न ज्ञान दिया तो वह सोंचता है कि यदि मुझे धन होता तो में भी उसी की तरह गुलछर्रे उड़ाता यह उसकी नियत थी तो दोनों का पापबराबर है.


१९.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है: कि:"अपने भाई की तकलीफ पर मत हँसो अल्लाह उसको उसकी तकलीफ से निकाल देगा और तुम को उस तकलीफ में डाल देगा"

२०.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा है: कि:"लोगों में अल्लाह के पास सब से प्यारा वह है, जो लोगों के अधिक से अधिक काम में आता है, और अल्लाह को सब से अधिक पसंदीदा काम यह है कि किसी मुस्लमान के दिल को खुश करदे या उसके किसी दुख या दर्द को दूर कर दे या उसका कर्जा उतार दे या उसकी भूक बुझा दे, मैं अपने किसी भाई के किसी काम को बनाने के लिये उसके साथ चलूँ यह काम मुझे किसी मस्जिद में एक महीना अल्लाह अल्लाह करते बैठने से अधिक पसंद है, और जिसने अपने गुस्से को पि लिया तो अल्लाह उस की बुराई पर परदह रख देता है. और यदि कोई अपने गुस्से को पि जाता है, बवजूद इसके के यदि वह करना चाहता तो बहुत कुछ कर सकता था इस के बावजूद सह लिया तो अल्लाह कियामत के दिन उसकी आत्मा को खुशी से भर देगा और जो अपने भाई के साथ उसका काम निकलने के लिये साथ दे और काम बना दे तो अल्लाह ताला कियामत के दिन उसकी सहायता करेगा जिस दिन लोगों के पैर उखड़ जाएंगे, और बुरा बर्ताव सारे कामों को ऐसे ही नष्ट कर देता है जैसे सिरका शहद को.


माता पिता के साथ भलाई:
१. अल्लाह ताला खुश होता है, जब माता पिता खुशहोते हैं औरअल्लाह नाराज होता है, जब माता पिता नाखुशरहतेहैं.
२.हज़रत पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-से अब्दुल्लाह बिन मासउद (उनके एक साथी) ने पूछा कौन सा काम अल्लाह को अधिक पसंद है? तो उन्हों ने कहा:"समयपरनामज़ पढ़ना" अब्दुल्लाह बिन मासउद ने पूछा फिर कौन सा? तो उन्होने कहा माता पिता के साथ अच्छा बर्ताव करना अब्दुल्लाह बिन मासउद ने पूछा फिर कौन सा? तो उन्होने कहा फिर अल्लाह के रस्ते में कोशिश करना.
३.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने पूछा:"क्या मैं आप कोसबसे बड़े पाप के बारे में न बताऊं? उन्होने इसे बात को  तिन बार दुहराया तो लोगों ने कहा जी हाँ, हे अल्लाह केपैगंबर!आप हमें ज़रूर बताएं तो उन्होने कहा:"अल्लाह तालाके साथ शिर्क करना ,और  मातापिता की बातन मानना,  वह टेका लेकर बैठे थे तो सीधा होकर बैठे और कहा:"झूठे सबूत देना या झूठ बोलना"पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-शब्द को दुहराते रहे यहाँ तक कि लोगों को लगा कि वह अब इस शब्द को नहीं दुहराएंगे" 


रिश्तेदारों के साथ व्यवहार:
पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा :" रिश्तादारी अर्श से लटकी हुई है और कहती है जो मुझे जोड़ता है उसे अल्लाह भी जोड़ता है और जो मुझे तोड़ता है उसे अल्लह तोड़ता है.


बेटियों का पालण:
१.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-नेकहा:"मेरी उम्मत(क़ौम) में सेजो कोई भी तीन बेटियों या तिन बहनों का पालन पोषन करे और उनके साथ अच्छा बर्ताव करे तो वह उनके लिये जहन्नम के बीच आड़ बन जाते हैं.

२.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-नेकहा:"जो कोई तीन बेटियों का पालन करता है, उनपर खर्च करता है, उनके साथ नरमी और मेहरबानी करता है , और उन्हें अच्छा पढ़ा लिखा कर शिक्षित करता है तो अल्लाहउसेजन्नत देगा, उनसे पूछा गया यदि किसी ने दो बेटियों का पालन किया तो? इस पर उन्होने ने कहा दो बेटियों के पालन पर भी.


अनाथों का पालन:
पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-नेकहा:"जो अनाथों का पालन पोषण करेगा वह मेरे साथ जन्नत में इस तरह रहे गा औरहज़रत पैगंबर -उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने हाथ की दो उंगलियों से इशाराकिया.


शासक या हाकिम का आज्ञापालन:
१. पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-नेकहा:शासक के आदेश का पालन करना आवश्यक है जिसने अपने हाकिम की बात उठा दी उसने अल्लाह के हुकम को ठुकरा दिया और उसकी नाफरमानी में दाखिल हो गया.
२.पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-नेयहाँ तककहा:अगर कोई नकटा काला कालोटा दास भी अपकाशासक बन जाए तब भी उनकी बात सुनो और उसकी आज्ञा का पालन करो.
 
३. पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा जब आप देख लें कि मेरी उम्मत ज़ालिम को "हे ज़ालिम!" कहने से डरे तो ईमानदारी उनसे रुखसत हो गई.

दयालुता:
एक बार एक आदमी ने पैगंबर हज़रत मुहम्मद-उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-को देखा कि वह अपने दोनों नातियों हसन और हुसैन को चूम रहे हैं, तो उसने कहा मुझे दस बच्चे हैं लेकिन मैं तो कभी भी उन में से किसी को भी नहीं चूमा तो हज़रत पैगंबर -उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने उन से कहा तो मैं किया कर सकता हूँ जब अल्लाह ने तुम्हारे दिल से दया को निकाल लिया "जो दया नहीं करता है उस पर दया नहीं होती है".

भीख माँगने की बुराइयां:
१.हज़रत पैगंबर -उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा:" जो लोगों से धन बटोरने के लिये भीख मांगता है तो वह तो असल में आग का डल्ला मांगता है तो माँगा करे ज़ियादा मांगे या कम मांगे"

२.हज़रत पैगंबर -उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा:" जिस पर गरीबी आगई हो और वह उस गरीबी को लोगों के बीच ले आए (मांगता फिरे) तो उसकी गरबी कभी बंद नहीं होगी लेकिन जो उस गरबी को अल्लाह के सामने रखे तो अल्लाह ताला उसकी गरीबी को जल्द ही धन दोलत में बदल देगा: या तो जल्द उसकी मिर्त्यु होजाएगी या फिर जल्द धन मिल जाए गा.  


आपस में एक दूसरे की सहायता :
१.हज़रत पैगंबर -उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा:"जो कोई छोटों पर दया नहीं करता औरबड़ों का सम्मान नहीं करता,उसका हमारे साथ कोई संबंध नहीं है.
२. तुम पृथ्वी के लोगों पर दया करो तो आकाश वाला तुम पर मेहरबान होगा.

३.हज़रत पैगंबर -उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा:"एक ईमानदार दूसरे ईमानदार के लिये ऐसे ही है जैसे एक भवन जिसमें प्रत्येक ईंट एक दूसरे को मजबूती से पकड़े रहते हैं. और अपनी उंगलियों की जाली बना कर दिखाया.
  
४. हज़रत पैगंबर -उनपरशांतिएवंआशीर्वादहो-ने कहा:"प्रतयेक दिन जिस में सूरज उगता है प्रतयेक आत्मा पर अपने लिये एक दान करना है  "अबूज़र्र ने पूछा :" हे अल्लाह के पैगंबर! मैं कहाँ से दान दूँ हमरे पास तो धन दोलत नहीं है? तो उन्होंने कहा:"दान के द्वार तो बहुत हैं उसी में "अल्लाहु अकबर " (अल्लाह बहुत बड़ा है) और "अलहम्दुलिल्लाह" (सभी प्रशंसा अल्लाह के लिये है),और "ला इलाहा इल्लाहू" (अल्लाह को छोड़ कर कोई पूजे जाने के योग्य नहीं है) और "अस्त्ग्फीरुल्लाह" (मैं अल्लाह से माफी माँगता हूँ) पढ़ना भी इसी में शामिल है और यह कि अच्छाई का आदेश दो और बुराई से रोको , और लोगों के रासते से कांटा हड्डी यापत्थर हटा दो, और अंधे को रास्ता दिखा दो और बहरा और गूंगा तक बात पहुंचा दो ताकि वह समझ सकें और किसी चीज़ के बारे में पूछने वाले को उसका पता बता दो यदि तुम उस चीज़ का पता जानते हो, और तुम सहायता मांगने वाले बेचारों के साथ तेज तेज पैरों को उठा कर चलो और कमजोर के साथ अपनी सहायता का हाथ जल्दी से बढ़ा दो, यह सब के सब दान के रासते हैं इसके द्वारा तुम अपनी आत्मा की ओर से दान कर सकते हो,और तुम को तो अपनी पत्नी के साथ सोने पर भी बदला है अबूज़र्र ने कहा कि मेरे अपने संभोग पर कैसे बदला मिलेगा? तो अल्लाह के पैगंबर- उन पर शांति हो -:ने कहा यह बताओ कि यदि तुम्हारा कोई बच्चा हो और बड़ा होजाए और तुम को उसकी सहायता की उम्मीद होने लगे फिर वह मर जाए तो उसपर अल्लाह की ओर से बदले की उम्मीद रखोगे या नहीं? अबूज़र्र ने कहा जी हाँ! तो उन्होंने उन से पूछा कियों किया तुम ने उसे पैदा किया? उन्हों ने कहा नहीं बल्कि अल्लाह ने उसे पैदा किया? अल्लाह के पैगंबर- उन पर शांति हो -:ने कहा किया तुम ने उसे होश बुध्धि दिया था? उन्हों ने कहा नहीं बल्कि अल्लाह ने उसे अक्ल बुध्धि दी इसके बाद अल्लाह के पैगंबर- उन पर शांति हो -:ने कहा क्या तुम उसे रोज़ी देते थे उन्होने कहा नहीं बल्कि अल्लाह ही उसे रोज़ी देता था तो अल्लाह के पैगंबर- उन पर शांति हो -:ने कहा तो बस उसे जायज़ में रखो और नाजायेज़ से इसे बचाओ यदि अल्लाह चाहेगा तो उसे जिंदगी देगा और अगर अल्लाह चाहे गा तो उसे जिंदगी नहीं देगा लिकिन तुम्हें तो बदला मिलेगा.(मतलब यह है की तुम पवित्र रूप से अपनी पत्नी के साथ ही संभोग करो)

३. हे अली!तीन चीजें पापों को मिटाने वाली हैं: सलाम (शांति) को फैलाना, खाना खिलाना  औररात में नमाज़ पढ़ना जब लोग सो रहे होते हैं.

६.अल्लाह के पैगंबर ने कहा:कल कियामत के दिन मुझ से अधिक नजदीक और मुझ पर शफाअत का हकदार वह आदमी है जो तुम्हारे बीच सब से अधिक सच्ची ज़बान बोलने वाला है और अमानत अदा करने वाला है और अच्छा बर्ताव करने वाला है और लोगों से अधिक मिलनसार है"


7. अबूज़र्र गिफारी ने बयान किया कि है कि अल्लाह के पैगंबर-उन पर शांति और आशीर्वाद हो - ने कहा: किसी भी भलाई की चीज़ को हलकी और छोटी हरगिज़ मत समझो भले ही अपने भाई से मुस्कुराहट के साथ मिलने की नेकी ही क्यों न हो (इस को भी छोटी मत जानो).


8 .अपने चहिते को जरा संभल कर चाहो क्योंकि हो सकता है किसी दिन आपकी उन से अनबनी हो जाए और अपने विरोधी से जरा संभल कर नफरत किजिये क्यों कि हो सकता है कि कुछ बाद वह आप का चाहिता बन जाए..


9 और हज़रत पैगंबर ने कहा तुम में से कोई भी आदमी "इम्माअह" थाली का बैगन ना बने- जो यह कहता है मैं तो लोगों के साथ हूँ यदि वह अच्छा करते हैं तो में भी अच्छा करता हूँ और यदि लोग बुरा करते हैं तो मैं भी बुरा करता हूँ, लेकिन अपनी आत्मा को मजबूत बनाओ यदि लोग अच्छा करें तो तुम भी अच्छा करो लेकिन यदि वह बुराई करें तो तुम उनकी बुराई से बचो.

ज्ञान की महानता:
 
१.अल्लाह के पैगंबर- उन पर शांति और आशीर्वाद हो-:ने कहा "जो कोई भी ज्ञान के प्रयास में एक रास्ता चलता है तो अल्लाह उसके लिये स्वर्ग की ओर का एक रास्ता तैय करा देता है, और ज्ञान की खोज में चलने वाले की खुशी के लिये फ़रिश्ते अपने पंखों को उनके पैरों तले बिछाते हैं, और विद्वानके लिये जो भी आकाशों में हैं और जो भी पृथ्वी पर हैं यहाँ तक कि मछलियां पानी में सब उसके लिए क्षमा की दुआ करते हैं, और एक विद्वानकी महानता केवल तपस्या करने वाले पर ऐसी ही है जैसे कि चाँद की महानता दूसरे सारे सितारों पर है, विद्वानपैगंबरों केवारिसहैं वास्तव मेंपैगम्बर अपनी मिर्त्यु के बाद दिनार और दिरहम छोड़ कर नहीं जाते हैं, हाँ! वे ज्ञान छोड़ कर जाते हैं तो जिसने ज्ञान लिया तो उसने बड़ा भाग पा लिया".
 

२. ज्ञान हासिल करना हर मुसलमान पर अनिवार्य है.
३. अल्लाह के पैगंबर- उन पर शांति और आशीर्वाद हो-:ने कहा ज्ञानबुध्धि ईमानदार आदमी की खोईं हुई चीज़ की तरह है जहाँ कहीं भी उसे हाथ लगे तो वही उसका अधिक अधिकार है.

६. अल्लाह के पैगंबर- उन पर शांति और आशीर्वाद हो-:ने कहा: जिसके पास कोई ज्ञान हो और उस ज्ञान के बारे में उससे पूछा गया लेकिन उसने उस ज्ञान को छिपा लिया तो कियामत के दिन उसे आग का लगाम पहनाया जाएगा"

दास, नोकर और नोकरानी के साथ व्यवहार:
१- मामुर बिन सोवैद ने कहा: "मैं ने अबूज़र्र गिफारी को देखा वह एक सूट पहने थे और उनका नोकर भी वैसे ही  सूट पहना था, तो हम ने उन से इस के बारे पूछा तो उन्हों ने कहा: मैं ने एक नौकर को कुछ गाली गलोज कर दिया, उस आदमी ने यह बात हज़रत पैगंबर- उन पर शांति और आशीर्वाद हो- को बता दी तो अल्लाह के पैगंबर- उन पर शांति और आशीर्वाद हो- ने मुझ से कहा क्या तुम ने उसकी माता का नाम लेकर उसे शर्मिंदा किया है,और आदेश दिया यह कम करने वाले तुम्हारे भाई हैं अल्लाह ने उन्हें तुम्हारे हाथों के नीचे रखा  है तो जिसका भाई उसके हाथ के निचे कम करता हो तो उसे वही खिलाए जो खुद खता है और उसे वही पहनाए जो खुद पहनता है, उनकी शक्ति से बढ़कर काम उनपर मत डालो और यदि तुम कुछ भारी कम उनको दो तो फिर उस कम में तुम उसका हाथ बटाओ.
 

२. और अबू मासउद -अल्लाह उनके साथ खुश रहे- ने कहा:मैं अपने एक नोकर को कुछ मारपीट कर रहा था इतने में मैं ने अपने पीछे से एक आवाज़ सुनी:" हे अबू मसउद! जान रखो कि अल्लाह तुम पर इस से भी कहीं अधिक शक्तिशाली है जितनी कि तुम इस नोकर पर हो" तो मैं ने पलट कर देखा तो पीछे हज़रत पैगंबर- उन पर शांति और आशीर्वाद हो- खड़े थे तो मैं ने तुरंत कह दिया हे अल्लाह के पैगंबर! वह अल्लाह के लिए स्वतंत्र है इस पर हज़रत पैगंबर- उन पर शांति और आशीर्वाद हो-  ने कहा:"यदि तुम यह कम न किये होते तो सचमुच में आग तुम्हें झुलस देती या आग तुम्हें छु लेती.

(Reproduced here with thanks from http://mohammed-hindi.blogspot.in/and reward in Akhirat by Almighty Allah InshA ALLAH )