مفکر اسلام حضرت مولانا سید ابو الحسن علی ندوی ؒ
’’مسلمان کی زندگی کی اصلی ساخت یہی ہے کہ یا تو اسلام کی دعوت اور عملی جدوجہد میں مشغول ہو، یا اس دعوت و عملی جدوجہد میں مشغول ہو نے والوں کے لئے پشت پناہ و مددگار ہو، اس کے ساتھ بھی عملی جدو جہدمیں حصہ لینے کا عزم اور شوق رکھتا ہو، مطمئن شہری اور محض کاروباری زندگی اسلامی زندگی نہیں اور کسی طرح بھی یہ ایک مسلمان کا مقصود حیات نہیں ہو سکتا، جائز مشاغل زندگی، جائز وسائل معیشت ہرگز ممنوع نہیں، بلکہ نیت واجر طلبی کے ساتھ عبادت و قرب الٰہی کا ذریعہ ہیں، مگر یہ جب سب دین کے سایہ میں ہوں، اور صحیح مقاصد کا وسیلہ ہوں، نہ کہ خود مقصود بالذات۔
سیرت محمدی کا یہ سب سے بڑا پیغام ہے، جو خالص مسلمانوں کے نام ہے۔‘‘ (کاروان زندگی : ص۱۲۲
मफकर इस्लाम हज़रत मौलाना सैयद अबू हसन अली
”मुसलमान के जीवन की वास्तविक संरचना यही है कि या तो इस्लाम की दावत और व्यावहारिक संघर्ष में व्यस्त हो, या उस दावत और अन्य संघर्ष में व्यस्त होने वालों के लिए पीछे शरण और सहायक हो, उसके साथ भी गुणवत्ता जदो जौतमें हिस्सा लेने का संकल्प और शौक रखता हो, संतुष्ट नागरिक और केवल व्यावसायिक जीवन इस्लामी जीवन नहीं और किसी तरह भी एक मुसलमान का गंतव्य हयात नहीं हो सकता, वैध मशागल जीवन, बेहतर संसाधन अर्थव्यवस्था कभी मना नहीं, बल्कि नियत वाजर असर नहीं: नडाल के साथ पूजा और करब इलाही का स्रोत हैं, लेकिन यह जब सब धर्म के छाया में हूँ, और सही उद्देश्य के माध्यम हूं, न कि खुद गंतव्य बालज़ात.
सीरत मोहम्मद का सबसे बड़ा संदेश है, जो शुद्ध मुसलमानों के नाम है. (कारवान जीवन: स 122)