इस्लाम: स्म्पूर्ण संसार के लिए एक प्रकाशस्तंभ
इस्लाम के पैग़म्बर ने लाकतान्त्रिक
शासन-प्रणाली को उसके उत्कृष्टतम रूप में स्थापित किया। ख़लीफ़ा उमर और
ख़लीफ़ा अली (पैग़मम्बर इस्लाम के दामाद), ख़लीफ़ा मन्सूर, अब्बास (ख़लीफ़ा
मामून के बेटे) और कई दूसरे ख़लीफ़ा और मुस्लिम सुल्तानों को एक साधारण
व्यक्ति की तरह इस्लामी अदालतों में जज के सामने पेश होना पड़ा। हम सब
जानते हैं कि काले नीग्रो लोगों के साथ आज भी ‘सभ्य!’ सफे़द रंगवाले कैसा
व्यवहार करते है? फिर आप आज से चैदह शताब्दी पूर्व इस्लाम के पैग़म्बर के
समय के काले नीग्रो बिलाल के बारे में अन्दाज़ा कीजिए। इस्लाम के आरम्भिक
काल में नमाज़ के लिए अज़ान देने की सेवा को अत्यन्त आदरणीय व सम्मानजनक पद
समझा जाता था और यह आदर इस ग़ुलाम नीग्रो को प्रदान किया गया था। मक्का पर
विजय के बाद उनको हुक्म दिया गया कि नमाज़ के लिए अज़ान दें और यह काले
रंग और मोटे होंठोंवाला नीग्रो गुलाम इस्लामी जगत् के सब से पवित्र और
ऐतिहासिक भवन, पवित्र काबा की छत पर अज़ान देने के लिए चढ़ गया। उस समय कुछ
अभिमानी अरब चिल्ला उठे, ‘‘आह, बुरा हो इसका, यह काला हब्शी अज़ान के लिए
पवित्र काबा की छत पर चढ़ गया है।’’शायद यही नस्ली गर्व और पूर्वाग्रह था
जिसके जवाब में आप(सल्ल.) ने एक भाषण (ख़ुत्बा) दिया। वास्तव में इन दोनों
चीज़ों को जड़-बुनियाद से ख़त्म करना आपके लक्ष्य में से था।
अपने भाषण में
आपने फ़रमाया-‘‘सारी प्रशंसा और शुक्र अल्लाह के लिए है, जिसने हमें
अज्ञानकाल के अभिमान और अन्य बुराइयों से छुटकारा दिया। ऐ लोगो, याद रखो कि
सारी मानव-जाति केवल दो श्रेणियों में बँटी हैः एक धर्मनिष्ठ अल्लाह से
डरने वाले लोग जो कि अल्लाह की दृष्टि में सम्मानित हैं। दूसरे
उल्लंघनकारी, अत्याचारी, अपराधी और कठोर हृदय लोग हैं जो ख़ुदा की निगाह
में गिरे हुए और तिरस्कृत हैं। अन्यथा सभी लोग एक आदम की औलाद हैं और
अल्लाह ने आदम को मिट्टी से पैदा किया था।’’इसी की पुष्टि क़ुरआन में इन
शब्दों में की गई है-‘‘ऐ लोगो ! हमने तमको एक मर्द और एक औरत से पैदा किया
और तुम्हारी विभिन्न जातियाँ और वंश बनाए ताकि तुम एक-दूसरे को पहचानो,
निस्सन्देह अल्लाह की दृष्टि में तुममें सबसे अधिक सम्मानित वह है जो
(अल्लाह से) सबसे ज़्यादा डरनेवाला है। निस्सन्देह अल्लाह ख़ूब जाननेवाला
और पूरी तरह ख़बर रख़नेवाला है।’’ (क़ुरआन,49:13)
पुस्तक- इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ( सल्ल. )
लेखक: प्रोफ़ेसर के. एस. रामा कृष्णा रावभूतपूर्व अध्यक्ष, दर्श ण-शास्त्र विभाग
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